Claim your Biolink Click Here
1 like 0 dislike
104 views
in Society & Culture by (1.1k points) | 104 views

1 Answer

0 like 0 dislike

श्री हनुमान चालीसा

दोहा:
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।

चौपाई:
बुधहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार।।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवन सुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुञ्चित केसा।।

हाथ वज्र और ध्वजा विराजे।
कांधे मुँज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन।।

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम कज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।

सुक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संघारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।

लाये संजीवन लखन जियाये।
श्री रघुवीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिये भरतहि-सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो यश गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
संकदिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद-सारद सहित अहीसा।।

यम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाये राजपद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
युग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लँघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गाम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम द्वारे तुम रखवारे।
होत न आग्या बिनु पैसारे।।
सब सुख लहैं तुम्हारी सरणा।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपैं।
तीनों लोक हाँक ते काँपैं।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवैं।
महावीर जब नाम सुनावैं।।

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट से हनुमान छुड़ावैं।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावैं।।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावैं।
सोई अमित जीवन फल पावैं।।

चारों युग प्रताप तुम्हारा।
है प्रसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को पावैं।
जनम-जनम के दुख बिसरावैं।।
अन्त काल रघुवीर पुर जाई।
जहाँ जनम हरि-भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरेहीं।
हनुमत से ही सर्व सुख करेहीं।।
संकट कटे मिटे सब पीरा।
जो सुमिरैं हनुमत बलबीरा।।

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पठे कोई।
छूटहि बंधि महा सुख होई।।

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।

दोहा:
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लक्ष्मण सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

श्री हनुमान चालीसा के पाठ से आपको आशीर्वाद और दिव्य कृपा मिले। जय हनुमान!

by (460 points)

Related questions

2 like 0 dislike
4 answers
0 like 0 dislike
0 answers
asked Jun 2, 2023 in Society & Culture by Sam (1.6k points) | 77 views
1 like 0 dislike
1 answer
asked May 21, 2023 in Society & Culture by Neha (1.1k points) | 121 views
1 like 0 dislike
1 answer
3 like 0 dislike
1 answer
asked Mar 22, 2023 in Society & Culture by Sam (1.6k points) | 75 views
0 like 0 dislike
1 answer
asked Nov 3, 2022 in Society & Culture by Simmi (830 points) | 91 views
2 like 0 dislike
1 answer
asked Nov 3, 2022 in Society & Culture by Simmi (830 points) | 104 views

Where your donation goes
Technology: We will utilize your donation for development, server maintenance and bandwidth management, etc for our site.

Employee and Projects: We have only 15 employees. They are involved in a wide sort of project works. Your valuable donation will definitely boost their work efficiency.

How can I earn points?
Awarded a Best Answer 10 points
Answer questions 10 points
Asking Question -20 points

1,312 questions
1,473 answers
569 comments
4,809 users